घर की दहलीज पे अपनी,
जलते दीये को देखकर ऐसा लगा
जैसे ज़िन्दगी में
एक नई रोशनी आयी हो...
पास जाकर
दीये की लौ को देखा
तो उसमें
तुम्हारा अक्स नज़र आया...
जानता हूँ
वो कोई और नहीं
तुम ही हो
जो दुनिया के डर से
घर के भीतर न आ सकी
और मेरी दहलीज पे
ये दीया रौशन कर गयी...
जानता हूँ
कि तुम कहीं दूर से
इस दीये को
रोज़ देखती हो,
इसलिये कई सालों से
हर रात मैं
इस दीये में तेल डाल कर
इसे रौशन करता हूँ...
मगर आज
कई सालों बाद
महसूस हो रहा है
कि अब ज़िन्दगी
अंतिम पड़ाव पर जा रही है...
मैंने आज
दीया नहीं जलाया,
ये सोचकर
कि तुम अँधेरा देखकर
मेरी दहलीज तक आओगी
इसलिये मैंने उस दीये के पास
एक सुन्दर लिबास
और एक कागज़ के टुकड़े पर
अपना संदेश लिखा है
और घर के अन्दर
तुम्हारे आने की
राह तक रहा हूँ...
मुझे अहसास हुआ
तुम्हारे आने का,
कागज़ के टुकड़े को
उठाने का,
और धीरे-धीरे
घर के भीतर आने का...
तुम एक-एक कदम बढ़ रही हो
और मैं हर कदम पर
अपनी जाती हुयी साँसों को
रोकने की
कोशिश कर रहा हूँ...
तुम दरवाजे के पास हो
और शायद
ये मेरी आखरी साँस है...
दरवाज़ा खुलने की आहट हुयी
और कम्बख़्त मेरी साँसों ने
मेरा साथ छोड़ दिया,
तुम्हें सजे-धजे देखने की तमन्ना
तमन्ना ही रह गयी
और एक सवाल
जो हमेशा पूछना चाहा था,
वो मन में ही रह गया...
आखिर क्यों करती हो
मुझसे इतना प्यार,
"असीम" प्यार,
क्यों...
जलते दीये को देखकर ऐसा लगा
जैसे ज़िन्दगी में
एक नई रोशनी आयी हो...
पास जाकर
दीये की लौ को देखा
तो उसमें
तुम्हारा अक्स नज़र आया...
जानता हूँ
वो कोई और नहीं
तुम ही हो
जो दुनिया के डर से
घर के भीतर न आ सकी
और मेरी दहलीज पे
ये दीया रौशन कर गयी...
जानता हूँ
कि तुम कहीं दूर से
इस दीये को
रोज़ देखती हो,
इसलिये कई सालों से
हर रात मैं
इस दीये में तेल डाल कर
इसे रौशन करता हूँ...
मगर आज
कई सालों बाद
महसूस हो रहा है
कि अब ज़िन्दगी
अंतिम पड़ाव पर जा रही है...
मैंने आज
दीया नहीं जलाया,
ये सोचकर
कि तुम अँधेरा देखकर
मेरी दहलीज तक आओगी
इसलिये मैंने उस दीये के पास
एक सुन्दर लिबास
और एक कागज़ के टुकड़े पर
अपना संदेश लिखा है
और घर के अन्दर
तुम्हारे आने की
राह तक रहा हूँ...
मुझे अहसास हुआ
तुम्हारे आने का,
कागज़ के टुकड़े को
उठाने का,
और धीरे-धीरे
घर के भीतर आने का...
तुम एक-एक कदम बढ़ रही हो
और मैं हर कदम पर
अपनी जाती हुयी साँसों को
रोकने की
कोशिश कर रहा हूँ...
तुम दरवाजे के पास हो
और शायद
ये मेरी आखरी साँस है...
दरवाज़ा खुलने की आहट हुयी
और कम्बख़्त मेरी साँसों ने
मेरा साथ छोड़ दिया,
तुम्हें सजे-धजे देखने की तमन्ना
तमन्ना ही रह गयी
और एक सवाल
जो हमेशा पूछना चाहा था,
वो मन में ही रह गया...
आखिर क्यों करती हो
मुझसे इतना प्यार,
"असीम" प्यार,
क्यों...
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