Mere sapno ka shahar
Thursday 15 December 2016
मेरे अलफ़ाजो के दर्द को क्या समझेंगे ये लोग,
शेर पढ़ने से पहले किताब की कीमत देखते है..असीम
Sunday 11 December 2016
ज़मीं पे कोई अपना कहाँ मिलेगा मुझे,
मेरे हिस्से का तो आसमां भी खाली है... असीम
Saturday 3 December 2016
कुछ खुशनुमा लिखने के लिए इस्तेमाल करूँगा किसी और का कलम,
मेरे कलम में ग़म की स्याही के सिवा कुछ भी नहीं... असीम
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