तेज बरसती बारिश में,
पूरी तरह भीग चुका हूँ
पूरे बदन को अहसास है
इस गीलेपन का फिर भी
पता नहीं क्यों ये अहसास
मन तक नहीं पंहुचा...
क्यों... ये तुमसे बेहतर कोई नहीं जानता... असीम...
पूरी तरह भीग चुका हूँ
पूरे बदन को अहसास है
इस गीलेपन का फिर भी
पता नहीं क्यों ये अहसास
मन तक नहीं पंहुचा...
क्यों... ये तुमसे बेहतर कोई नहीं जानता... असीम...
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