Friday 10 February 2017

आदत

सुनो! सुनो ना 
क्या सुन पा रहे हो मुझे
हम्म्म्म्म 
बहुत रात हो चुकी है
लगता तुम भी सो गए हो
शायद औरो की तरह
तुम जान चुके हो
के रातो को जागना
मेरी आदत बन चुकी है
मै जानता हूँ
ये आदत बुरी है
लेकिन तुम तो कहते थे
कि मेरी हर आदत में शामिल रहोगे
चाहें वो बुरी ही क्यों ना हो
फिर आज अचानक कैसे
नींद आ गई तुम्हे
लगता है
औरो की तरह
ये नींद भी
मुझे तुमसे अलग करने की
साज़िश कर रही है.....असीम....

Saturday 14 January 2017

Kal likhte-likhte maine khuda se puch liya, 
aur kab tak kagzo ko bharta rahu, kabhi geet to kabhi gazal likhta rahu,
ab mujhe koi naam se nahi bulata hai, koi kavi to koi shayar kah jata hai
khuda ne muskurakar mujhse kaha,
pyar me meri bhi aisi hi shuruaat thi, bante bante ban gai ye puri kaynath thi,
judai ka gam to maine bhi bahut saha hai, fark bas itna hai ki tujhe logo ne shayar
aur mujhe khuda kaha hai
सब कुछ तो बदल गया है बस दिल में एक एहसास है
जो इस बदलाब को स्वीकार नहीं करने देता ..असीम...

Thursday 15 December 2016

मेरे अलफ़ाजो के दर्द को क्या समझेंगे ये लोग,
शेर पढ़ने से पहले किताब की कीमत देखते है..असीम

Sunday 11 December 2016

ज़मीं पे कोई अपना कहाँ मिलेगा मुझे,
मेरे हिस्से का तो आसमां भी खाली है... असीम

Saturday 3 December 2016

कुछ खुशनुमा लिखने के लिए इस्तेमाल करूँगा किसी और का कलम,
 मेरे कलम में ग़म की स्याही के सिवा कुछ भी नहीं... असीम

Sunday 27 November 2016

वक़्त

याद है तुम्हें वो वक्त जब मेरी आवाज़ सुनने की हर दिन तुम्हें बेचैनी रहती थी,
 और आज कई हफ्ते गुज़र जाते हैं अपनी गुफ्तगू हुए, 
तुम नहीं बदले मुझे इस बात का यकीन है,
वक़्त बदल गया जिस पर हमारा बस नहीं है....असीम...