याद है तुम्हें वो वक्त जब मेरी आवाज़ सुनने की हर दिन तुम्हें बेचैनी रहती थी,
और आज कई हफ्ते गुज़र जाते हैं अपनी गुफ्तगू हुए,
तुम नहीं बदले मुझे इस बात का यकीन है,
वक़्त बदल गया जिस पर हमारा बस नहीं है....असीम...
और आज कई हफ्ते गुज़र जाते हैं अपनी गुफ्तगू हुए,
तुम नहीं बदले मुझे इस बात का यकीन है,
वक़्त बदल गया जिस पर हमारा बस नहीं है....असीम...
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