Wednesday 28 September 2016

चाँद से वादा

मै रोज़ की तरह
इंतज़ार कर रहा था
चाँद के आने का,आज चाँद बड़ा हताश दिखा
मैंने जब इसका कारण पूछा तो
चाँद ने मुझसे बस इतना ही कहा
कि मैंने तुमसे जो कल वादा किया था
वो पूरा नहीं कर पाया
नहीं ला पाया उसका मुस्कुराता चेहरा
तुम्हारे लिए, ये मत सोचना के मैंने कोशिश नहीं की
काश मुझे मालूम होता
कि बदले में वो तुम्हारा मुस्कुराता चेहरा मांग बैठेगी
तो कभी तुमसे ये वादा ना करता
सच में बड़े ज़िद्दी हो तुम दोनों
एक दूसरे को मुस्कुराता तो देखना चाहते हो
मगर पहल कोई नहीं करना चाहता
अब मैं इसे प्यार कहूँ या.........
मुझे भी नहीं पता क्योंकि
21वी सदी में तुम दोनों के अलावा
मै किसी के प्यार का माध्यम नहीं हूं
और एक वादा तुम दोनों से लेना है
की जब भी तुम एक हो जाओगे
तो मुझे मत भूल जाना
आज अकेले अकेले मुझको देखा करते हो
कल साथ रहकर भी देखने आना
मेरी चाँदनी में तुम्हारा प्यार
और खिल उठेगा...
ये सुनकर
मैने बिना तुमसे पूछे
दोनों की तरफ से चाँद से वादा कर दिया है
मैंने कुछ गलत तो नहीं किया ना
अगर गलत लगे तो चुपके से बतला देना
मैं चाँद को मना लूंगा तुम्हारे लिए
सिर्फ तुम्हारे लिये......... असीम....

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